जीना तो है उसी का जिसने यह राज जाना है, है काम आदमी का दूसरे के काम आना: समाजसेवी
इंडिया गौरव राहुल सीवन 15 मई। समाजसेवी गोल्डी बंसल व समाजसेवी कमल भार्गव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कहा जाता है कि इंसान की पहचान उसके अच्छे कर्मों से होती है, और वही व्यक्ति सच्चे मायनों में इंसान कहलाता है जो दूसरों के दुख-दर्द को समझकर उनके काम आता है। एक समाजसेवी की पहचान भी उसकी सेवा भावना, निस्वार्थ सहयोग और परोपकार से होती है। जीना तो है उसी का जिसने यह राज जाना, है काम आदमी का दूसरे के काम आना, यह पंक्ति न केवल एक विचार है बल्कि एक जीवन दर्शन है, जो हर इंसान को अपने जीवन का हिस्सा बना लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में बहुत से लोग होते हैं जो केवल अपनी जरूरतों और इच्छाओं तक सीमित रहते हैं, लेकिन समाजसेवी वे होते हैं जो अपने सुख-दुख से ऊपर उठकर दूसरों की भलाई में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। उनका उद्देश्य केवल स्वयं का विकास नहीं होता, बल्कि वे अपने आसपास के लोगों की समस्याओं को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। ऐसे लोग ही समाज की रीढ़ होते हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के जरूरतमंदों की मदद करते हैं, पीड़ितों की आवाज बनते हैं और समाज में जागरूकता का दीप जलाते हैं। महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, स्वामी विवेकानंद और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे महापुरुषों ने अपने जीवन में यही सिद्धांत अपनाया कि जीवन केवल स्वयं के लिए नहीं, बल्कि दूसरों की सेवा में समर्पित होना चाहिए। वे न सिर्फ लोगों के काम आए, बल्कि एक पूरी पीढ़ी को मानवता, करुणा और सेवा का संदेश देकर गए। आज जब समाज में स्वार्थ, भागदौड़ और आत्मकेंद्रित सोच का बोलबाला है, ऐसे में समाजसेवियों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। वे उन लोगों तक राहत पहुंचाते हैं, जो समाज की मुख्यधारा से कटे हुए होते हैं, वे शिक्षा, स्वास्थ्य, सम्मान और अधिकार दिलवाने की लड़ाई लड़ते हैं। उन्होंने कहा कि एक सच्चा समाजसेवी कभी किसी प्रशंसा या पुरस्कार के लिए काम नहीं करता, उसका उद्देश्य केवल इतना होता है कि वह किसी के चेहरे पर मुस्कान ला सके, किसी की पीड़ा को कम कर सके। और यही आत्मिक संतोष उसका सबसे बड़ा पुरस्कार होता है। इसलिए हम सबको यह समझने की जरूरत है कि जीवन की सार्थकता केवल अपने सपनों को पाने में नहीं, बल्कि दूसरों के सपनों को साकार करने में भी है। जब हम किसी दुखी को सहारा देते हैं, किसी अनजान की मदद करते हैं, या समाज के लिए कुछ बेहतर करने की सोचते हैं, तब हमारा जीवन वास्तव में मूल्यवान बनता है। जीना तो है उसी का जिसने यह राज जाना है, है काम आदमी का दूसरे के काम आना, यह पंक्ति हमें यही सिखाती है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है और सेवा सबसे बड़ा कर्म। आइए हम भी इस सोच को अपनाएं और अपने जीवन को दूसरों के लिए उपयोगी बनाए।
Comments
Post a Comment