अदालत ने परिवार के चार लोगों की हत्या के अपराधी की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला

जबलपुर (मप्र), 19 अप्रैल । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने परिवार के चार लोगों की हत्या करने वाले व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। अदालत ने इस बात को ध्यान में रखा कि घटना के समय व्यक्ति नशे में था और उसका एक नाबालिग बेटा जीवित है जिसकी देखभाल की जानी चाहिए। अधीनस्थ अदालत ने जितेंद्र पुरविया को राज्य के रायसेन जिले के सिमरेघाट गांव में 16 मई 2019 को अपनी पत्नी सुनीता, पिता जालम सिंह, मां शारदा और बेटे सिद्धांत की हत्या करने के मामलेमें मौत की सजा सुनाई थी। पुरविया ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की सदस्यता वाली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को सुनाए अपने फैसले में कहा हमारा मानना ​​है कि तथ्यों और परिस्थितियों, यानी घटना के समय व्यक्ति की नशे की हालत और जीवित नाबालिग बेटे की मौजूदगी को ध्यान में रखा जाना चाहिए।पीठ ने कहा कि ये सभी कारण मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने के लिए पर्याप्त हैं।उच्च न्यायालय ने कहा, भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 (1-बी) (ए) और 27 के तहत दंडनीय अपराध के लिए व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखा जाता है लेकिन उसे दी गई सजा में बदलाव कर मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदला जाता है।

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