पंजाबी वेलफेयर सभा द्वारा मनाया गया पंचमी का त्योहार..
पंजाबी वेलफेयर सभा द्वारा बांटा गया मीठे पीले चावलों का प्रसाद..
कैथल, 2 फरवरी:पंजाबी वेलफेयर सभा द्वारा बसंत पंचमी का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सभा के सदस्यों ने मिलकर सर्वप्रथम अमर शहीद मदन लाल ढींगडा जी की मूर्ति पर पुष्प अर्पित किए उसके बाद स्मारक स्थल पर पीले मीठे चावलों का प्रसाद राहगीरों को वितरित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान सुभाष कथुरिया ने की।सुभाष कथुरिया ने कहा कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ महीने के पांचवे दिन मनाया जाता है। कुछ समुदायों के बीच बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने एवं पीले मीठे चावलों का बांटना शुभ माना जाता है।उन्होंने कहा कि बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती देवी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी पर हमारी फसलें-गेहूँ, जौ, चना आदि तैयार हो जाती हैं इसलिए इसकी खुशी में हम बसंत पंचमी का त्योहार मनाते हैं।इस दिन लोग परस्पर एक-दूसरे के गले से लगकर आपस में स्नेह, मेल-जोल तथा आनंद का प्रदर्शन करते हैं। कहीं-कहीं पर बसंती रंग की पतंगें उड़ाने का कार्यक्रम बड़ा ही रोचक होता है। इस पर्व पर लोग बसंती कपड़े पहनते हैं और बसंती रंग का भोजन करते है ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्त्व है। इसकी छटा निहारकर जड़-चेतन सभी में नव-जीवन का संचार होता है। सभी में अपूर्व उत्साह और आनंद की तरंगें दौड़ने लगती हैं।मुख्य संरक्षक इन्द्रजीत सरदाना ने कहा कि स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु बड़ी ही उपयुक्त है। इस ऋतु में प्रात:काल भ्रमण करने से मन में प्रसन्नता और देह में स्फूर्ति आती है। स्वस्थ और स्फूर्तिदायक मन में अच्छे विचार आते हैं। हमारे देश में छः ऋतुएँ होती हैं, जो अपने क्रम से आकर अपना पृथक-पृथक रंग दिखाती हैं। परंतु बसंत ऋतु का अपना अलग एवं विशिष्ट महत्ता है। इसीलिए बसंत ऋतुओं का राजा कहलाता है। इसमें प्रकृति का सौन्दर्य सभी ऋतुओं से बढ़कर होता है।इस मौके पर प्रधान सुभाष कथुरिया,मुख्य संरक्षक इन्द्रजीत सरदाना, राम किशन डिगानी, सुषम कपूर,राकेश मल्होत्रा,हरीश पूरी,ओमप्रकाश दुआ,नरेन्द्र निझावन,वी.के.चावला, प्रदर्शन परुथी,मनोहर लाल आहूजा, जगदीश कटारिया,गुलशन चुघ,राजीव कालड़ा,ललित छाबड़ा,सीता राम गुलाटी,कंवल तनेजा,ज्ञानप्रकाश कुमार,लखमी दास खुराना,महेश धमीजा, संजीव जग्गा, अरविन्द चावला मौजूद थे।
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