सकट चौथ व्रत संतान सुख की प्राप्ति, घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए
सकट चौथ व्रत जिसे तिल चौथ भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में यह पर्व महिलाओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से रखा जाता है। व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति. घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है। इसे माघ माह की कृष्ण पक्ष की चौथ को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान गणेश की पूजा करती हैं। इस दिन विशेष रूप से तिल. गुड़. तिल के लड्डू आदि का महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अगर कोई महिला संतान सुख की इच्छा रखती है और वह नियमित रूप से सकट चौथ व्रत करती है। तो उसे संतान सुख प्राप्त होता है। हिन्दू कैलंडर के अनुसार सकट चौथ की शुरुआत सुबह 4 बजकर 6 मिनट पर होगी और अगले दिन 18 जनवरी को सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। इसके मुताबिक 17 जनवरी शुक्रवार के दिन ये व्रत रखा जाएगा।सकट चौथ का व्रत बेहद ही खास होने वाला है। क्योंकि इस दिन ज्योतिष गणना के अनुसार सौभाग्य योग बन रहा है। इस दिन मघा नक्षत्र पर बव. बालव करण का संयोग रहेगा। इस योग पर पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।सकट चौथ व्रत का प्रमुख उद्देश्य परिवार में सुख-समृद्धि लाना और विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाएं संतान सुख और घर की खुशहाली के लिए करती हैं। यह व्रत गणेश जी की पूजा से जुड़ा हुआ है। पूजा से पहले अच्छे से स्नान कर शुद्ध हो जाएं। सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
सकट चौथ व्रत पूजा विधि..
पूजा के लिए तिल. गुड़. तिल के लड्डू. फल. फूल. दीपक.धूप. और लाल चंदन का उपयोग करें..
सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। अगर प्रतिमा नहीं है, तो चित्र का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके बाद गणेश जी के सामने दीपक लगाएं और धूप जलाएं।फिर तिल.गुड़ और तिल के लड्डू गणेश जी को अर्पित करें। यह विशेष रूप से इस दिन का प्रमुख भोग है।गणेश जी की पूजा करते समय ॐ गण गणपति नमः और ॐ श्री गणेशाय नमः मंत्र का जाप करें..
धन-दौलत में बढ़ोतरी के लिए अपने घर के मंदिर में गजानन के सामने श्री यंत्र स्थापित करें और उसके ऊपर दो सुपारी रखें। इसके बाद लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या धन स्थान पर रख दें। इस दिन व्रत कथा सुनना या पढ़ना महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कथा भगवान गणेश के साथ-साथ इस दिन के महत्व और उसकी कृपा पर आधारित होती है। इस कथा को पूरी श्रद्धा और ध्यान से सुनना चाहिए ताकि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
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