जिला बाल संरक्षण इकाई, कैथल द्वारा किया गया प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
कैथल, 29 जनवरी: बुधवार को जिला बाल संरक्षण अधिकारी प्रदीप कुंडू के निर्देशानुसार जिला बाल संरक्षण इकाई, कैथल द्वारा महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी,कलायत के कार्यालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिला बाल संरक्षण इकाई से मौजूद सुरेश कुमार एवं सोनू आउटरीच वर्कर के द्वारा बाल श्रम, पॉक्सो एक्ट,जेजे एक्ट, स्पोंसरशिप स्कीम, चाइल्ड लाइन 1098 इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बाल श्रम के बारे मे जानकारी देते हुए बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति या माता-पिता आदि बच्चों से बाल भिक्षावृत्ति करवाते है, करने के लिए उकसाते है या बाल भिक्षावृत्ति के लिए कारण बनते है और बाल भिक्षावृत्ति के लिए दोषी पाए जाते है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए पांच साल की सजा व एक लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है।उन्होंने सभी से अपील की कि अगर कोई बच्चा बाल भिक्षावृत्ति में संलिप्त मिलता है तो उसकी जानकारी तुंरत चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर दें। उन्होने पोक्सो एक्ट 2012 एंव जेजे एक्ट पर भी विस्तार से जानकारी दी। उनके द्वारा बताया गया कि बच्चों के साथ होने वाले शोषण को रोकने के लिए समिति व पुलिस प्रशासन को भी जानकारी देने में आगे आए। जब भी किसी बच्चे के साथ शोषण होता देखें या उन्हें कोई लावारिस बच्चा मिले तो तुरंत पुलिस में या समिति के कार्यालय में सूचना दें, ताकि मामले में पूरी कार्रवाई की जा सके। उन्होंने स्पोंसरशिप स्कीम के बारे में भी विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यदि किसी कारणवश किसी बच्चे के माता-पिता की मृत्यु हो गई हो, बालक की माता विधवा या तलाकशुदा या परिवार के द्वारा परित्यक्त हो, बालक अनाथ हो और विस्तृत परिवार (दादा-दादी, चाचा-चाची आदि) के साथ रह रहा हो, बालक के माता-पिता किसी जानलेवा बीमारी से पीड़ित हो। बालक के माता-पिता दुर्घटना के कारण बालक की आर्थिक और शारीरिक रूप से देखभाल करने में सक्षम न हो और यदि बालक बेघर, प्राकृतिक आपदा, बाल मजदूरी, बाल-विवाह का पीड़ित, एचआईवी एड्स से ग्रसित, बाल तस्करी का शिकार, किसी भी श्रेणी का दिव्यांग,गुमशुदा व भागा हुआ बालक, बाल भिक्षावृत्ति में संलिप्त या गलियों में आवारा घुमने वाला बालक, प्रताडि़त या शोषित ऐसे सुरक्षा एवं देखभाल की जरूरत वाले बच्चे जिन्हें सहायता व पुर्नवास की आवश्यकता है ऐसे बालकों को विभाग के द्वारा 4000/-रुपये मासिक पैंशन देने का भी प्रावधान किया गया है। आवेदन कर्ता के परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में 72000 रुपये व शहरी क्षेत्र में 96 हजार रुपये सालाना से अधिक न हो। इस मौके पर जिला बाल संरक्षण इकाई से सुरेश, सोनू, महिला एवं बाल विकास विभाग से सुपरवाईजर, सभी ब्लॉक आंगनवाडी वर्कर आदि उपस्थित रहें।
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