सुखमय जीवन के लिए गीता के संदेश को अपने जीवन में जरूर अपनाएं --हमें क्वांटिटी पर नहीं क्वालिटी पर विश्वास करना चाहिए : नगर परिषद की चेयरपर्सन सुरभि गर्ग


 
जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव के अंतर्गत आरकेएसडी कॉलेज में किया गया गीता सेमिनार का आयोजन, संस्कृत विषय विशेषज्ञों ने खूब की गीता ज्ञान की वर्षा ..

कैथल, 10 दिसंबर(: नगर परिषद की चेयरपर्सन सुरभि गर्ग ने कहा कि गीता के संदेश को अपने जीवन में जरूर अपनाएं, ताकि हमारा जीवन सुखमय बनें। हमें क्वांटिटी पर नहीं क्वालिटी पर विश्वास करना चाहिए। अगर गीता की बात करें तो महाभारत के युद्ध में दुर्योधन के पास भगवान श्रीकृष्ण की पूरी सेना थी, वहीं दूसरी और पांडवों के पास अकेले स्वयं भगवान श्रीकृष्ण थे, जिसमें पांडवों की विजय हुई थी। इसलिए हमें हमेशा अपनी क्वालिटी को इम्प्रूव करना चाहिए, न कि क्वांटिटी को। नगर परिषद की चेयरपर्सन सुरभि गर्ग मंगलवार तीन दिवसीय गीता जयंती के महोत्सव के दूसरे दिन आरकेएसडी कॉलेज में आयोजित गीता सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी। इस सेमिनार में विषय विशेषज्ञ के रूप में आरकेएसडी के पूर्व प्रोफेसर बीबी भारद्वाज, रामनिवास पटवारी, संस्कृति विश्वविद्यालय से डॉ. बीपी पांडे, डॉ. नरेश कुमार, संस्कृत प्राध्यापक रोहित तथा कृष्ण कुमार शामिल रहे। सभी वक्ताओं ने गीता की शिक्षाओं के बारे में बहुमल्य जानकारी दी और बताया कि कैसे मनुष्य गीता ज्ञान अपनाकर जीवन को सफल बना सकता है।चेयरपर्सन सुरभि गर्ग ने आगे कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता गं्रथ पवित्र ही नहीं, बल्कि मानवता का गौरव है।विश्व के कौने-कौन तक पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेश पहुंच रहे हैं। हमारे अंदर महत्वकांक्षा होनी चाहिए, लालसा नहीं। विद्यार्थी समाज की गतिविधियों से अपडेट रहे। सच्चाई, ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करते हुए अपने दायित्वों को निभाएं, निश्चित रूप से आपको इसक फल मिलेगा।आरकेएसडी के पूर्व प्रोफेसर बीबी भारद्वाज ने कहा कि गीता एक ऐसा पवित्र गं्रथ है, जिसका अध्ययन करने से साधारण मनुष्य भी महान बन जाता है। जिस प्रकार हमारे शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार हमारे मन की अपनी एक खुराक होती है। इसलिए हमें गीता का अध्ययन करके मन को अच्छे विचारों की खुराक देनी चाहिए। गीता हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, अधर्म से धर्म की ओर लेकर जाती है। गीता भारत में नहीं, विदेशों में भी प्रख्यात है।वक्ता रामनिवास पटवारी ने कहा कि गीता जहां अपनी संस्कृति, आदर्शों और सामाजिक मूल्यों को परिभाषित करती हैं, वहीं दूसरी और हमें अध्यात्मवाद के क्षेत्र में रहते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है। हमें गीता के संदेशों को आत्मसात करने की जरूरत है, जो व्यक्ति जिस भाव में गीता पढ़ता है, उसी भाव में उसे समझ आती है। गीता कांटों में गुलाब की तरह है। जिस तरह से मनुष्य परेशानियों के कांटो से घिर जाता है, उस समय गीता ज्ञान गुलाब की भांति मनुष्य का मार्गदर्शन करता है।अगले वक्ता संस्कृति विश्वविद्यालय से डॉ. बीपी पांडे ने कहा कि हमें गीता के संदेशों को अंगीकृत करते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है। अध्यात्मवाद का परिवेश सेवा करने की सीख देता है। इसलिए यह सीख भावी पीढ़ी को भी जानी चाहिए और ऐसा तभी हो सकता है, जब हम गीता जैसे धार्मिक गं्रथ का समय-समय पर अध्ययन करते रहें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। आपके अंदर इतनी ताकत है, आप समाज को नई दिशा प्रदान कर सकते हो।वक्ता डॉ. नरेश ने पीपीटी के माध्यम से गीता के श्लोकों का जिक्र करते हुए मौजूदा परिवेश में समस्याओं के समाधान का रास्ता बताया। उन्होंने कहा कि गीता प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। गीता भारत का गौरव है। महात्मा गांधी जी ने कहा था कि जब भी वे भ्रमित महसूस करते थे या किसी कठिन परिस्थिति का सामना करते थे, उस समय वे भगवद गीता का सहारा लेते थे और उन्हें अपने समाधान और शक्ति का उत्तर मिलता था। हमें जीवन में होने वाले बदलावों के प्रति स्वयं को तैयार अनुकूलित करना चाहिए, जोकि गीता में निहीत है। गीता योग अपने-अपने कर्तव्य कर्म को कुशलता से करने की प्रेरणा देता है।संस्कृत अध्यापक कृष्ण कुमार ने कहा कि गीता हमें जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य की प्राप्ति करवाती है। गीता किसी विशेष वर्ग के लिए नहीं यह विश्वव्यापी सार है। समाज में जितने विवाद, बुराई, ईर्ष्या, द्वेष, विश्व की कोई भी समस्या का समाधान गीता में है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का जब हम संरक्षण करेंगे तभी हमारी संस्कृति बचेगी।प्राध्यापक रोहित ने गीता के अलग-अलग अध्यायों के श्लोकों को उपस्थितजनों के संस्कृत भाषा में भाषा में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हमें अपना कर्म ईमानदारी से करना चाहिए और फल की इच्छा नहीं करना चाहिए। जैसा कर्म करोगो वैसा फल जरूर मिलेगा।उच्चतर शिक्षा विभाग के नोडल अधिकारी एवं कपिल मुनि राजकीय महिला कालेज कलायत के प्रिंसिपल डा. राजेश सैनी ने स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया और कहा कि हमें गीता का एकग्रता से अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि गीता के अंदर सभी समस्याओं का हल है। गीता जैसे पवित्र ग्रंथों से ही हमें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का उत्साह मिलता है। मंच का सफल संचालन डा. एसपी वर्मा ने किया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि सहित सभी वक्ताओं को स्मृति देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आरकेएसडी के प्रिंसीपल मैहला, अशोक अत्री, राजेश देशवाल, बाबू अन्नत राम जनता कालेज कौल से डा. ईश्वर सिंह, डा. बीआर अंबेडकर कालेज के प्रिंसीपल डा. मनोज बांभू, राजकीय कालेज चक्कू लदाना से अविनाश पाठक, जिओ गीता से दिनेश पाठक, शिवशंकर पाहवा, सुष्म कपूर सहित जिलभर से संस्कृत अध्यापक, कालेजों के प्राध्यापक तथा विद्यार्थी मौजूद थे।

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