पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया! लेकिन सिर्फ़ महँगे निजी स्कूलों में पढ़ाने को क्यों मजबूर हैं हरियाणा के लोग ?
पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया..
लेकिन सिर्फ़ महँगे निजी स्कूलों में पढ़ाने को क्यों मजबूर हैं हरियाणा के लोग?
राज्य में क़रीब 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है और क़रीब 1047 स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय नहीं।सरकारी स्कूलों में सुविधाओं के लिए आठ साल से चलती आ रही इस लड़ाई में हमारा साथ दें।
सरकारी स्कूलों की बदहाली को लेकर मेरे द्वारा 2017 में स्कूली छात्रों के निवेदन पर एक याचिका दायर की गई थी। इस केस में स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर हाई ने हरियाणा सरकार पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया था।6 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में एफीडेविट दायर करके दावा किया है कि सभी स्कूलों में पानी, टॉयलेट्स, बिजली, चारदिवार जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवा दी गई हैं।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए मैंने हाई कोर्ट को बताया कि ये सुविधाएं सिर्फ कागजों में ही उपलब्ध हैं। इस पर हाई कोर्ट ने मुझे जवाबी हलफनामा दायर करने का समय दिया है। अगर आपके आस पास के गांव या शहर के किसी भी सरकारी स्कूल में मूलभूत सुविधाओं की कमी है तो आप मुझे फोटो या अन्य सबूत के साथ एक एफिडेबिट दें। ये एफिडेविट हाई कोर्ट की माँग है। इसके ज़रिए हाई कोर्ट को बताया जा सकेगा कि सरकारी दावे ज़मीनी हालातों से कितने दूर हैं। मैं सभी सरपंचों, पार्षदों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और अन्य नागरिकों से आवाहन करता हूं कि आपके बच्चों के भविष्य के लिए स्कुलों को सुधारने के लिए आगे आएं।कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा है कि अगर किसी पत्रकार साथी ने इस मुद्दे पर कोई न्यूज कवर की है तो उसकी वो खबर भी संबंधित पत्रकार के एफीडेविट के साथ हाईकोर्ट के समक्ष पेश की जा सकती है। आपका ये एक छोटा सा कदम हरियाणा के बच्चों का भविष्य बचा सकता है। सरकारी स्कूलों को बदलने में एक भूमिका निभाएँ।
किसी भी प्रकार के मार्गदर्शन के लिए आप मेरे नंबर: 9467556024 पर संपर्क कर सकते हैं -
एडवोकेट प्रदीप रापड़िया
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